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मृतक भोज
मृतक भोज
प्रकाशक :
विश्व बुक्स |
प्रकाशित वर्ष : 2015 |
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
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पुस्तक क्रमांक : 9283
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आईएसबीएन :817987186x |
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9 पाठकों को प्रिय
37 पाठक हैं
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
कथा सम्राट प्रेमचंद विश्व के उन विशिष्ट कथाकारों की श्रेणी में गिने जाते हैं, जिन्होंने समाज के सभी वर्गों - अमीर-गरीब, स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े, जमींदार-किसान, साहूकार-कर्जदार आदि के जीवन और उनकी समस्याओं को यथार्थवादी धरातल पर बड़ी ही सीधी-सादी शैली और सरल भाषा में प्रस्तुत करते हुए एक दिशा देने का प्रयास किया है।
यही कारण है कि प्रेमचंद की कहानियां हिंदी-भाषी क्षेत्रों में ही नहीं, संपूर्ण भारत में आज भी पढ़ी, समझी और सराही जाती हैं। इतना ही नहीं, विदेशी भाषाओं में भी उनकी चुनी हुई कहानियों के अनुवाद हो चुके हैं।
इसी संदर्भ में प्रस्तुत है समाजगत रूढ़ियों पर कुठाराघात करती उन की विशिष्ट कहानियों का संग्रह-‘मृतक भोज’, जो भारतीय समाज में व्याप्त मृत्यु के उपरांत प्रचलित मृतक भोजों की परंपरा पर एक कुठाराघात है। परलोक सुधार के नाम पर होने वाले आडंबरों, पति की मृत्यु के बाद दया धर्म के ठेकेदारों के जाल में छटपटाती असहाय विधवा और मासूम, अनाथ बच्चों की त्रासदी की कथा है, क्या वे धर्म के इन ठेकेदारों से लड़ पाए ?
ऐसी ही अनेक रूढ़ियों और अंधविश्वासों को उजागर करता उत्कृष्ट कहानी संग्रह जिसे आप अवश्य पढ़ना चाहेंगे।
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